Pehchan Identity hindi kavita पहचान - Like Hindi Poem हिंदी कविताएं

Pehchan Identity hindi kavita पहचान

पहचान

कविता की आड़ में कवि की असली पहचान छिपी होती है। कविता न केवल अभिव्यक्ति का माध्यम है बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम भी है। कवि अक्सर कविता लिखते समय चरित्र का मुखौटा पहन लेता है। यह कविता को एक वर्णनात्मक स्पर्श देने के साथ-साथ इसे और अधिक रोचक बनाने के लिए है। कवि की पहचान कविता की पहचान में छिपी होती है।

न मिली हो मेरे लफ्जों को अब तक,
कोई काबिल जुबान तो क्या हुआ,


इतनी आसानी से नहीं मिलती किसी को,
यहां मुक्कमल पहचान तो क्या हुआ।
....मैं लिखता रहूंगा बस लिखता ही रहूंगा

पहचान

like hindi poem



पहचान
गुम भले ही हो जाए उभरती मेरी कलम के,
ये धुंधले से निशान तो क्या हुआ। 

अगर ढह भी जाए यहां तक आते आते,
बांस की बनी ये मचान तो क्या हुआ।
.... मैं लिखता रहूंगा बस लिखता रहूंगा


अक्सर नही मिलता हर शक्श को यहां पर,
सपनो का अपना मकान तो क्या हुआ,

मिलकर भी नही मिलता जीने को जरुर
जरुरत का अच्छा सामान तो क्या हुआ।
....में लिखता रहूंगा बस लिखता रहूंगा


पहचान
बे शक भले हो जो आज तक हर कोई 
मौजूदगी से मेरी अनजान तो क्या हुआ,

हां अभी नही है मेरा भी औरों के जैसे,
दुनियां में मशहूर नाम तो क्या हुआ।
.... मैं लिखता रहूंगा बस लिखता रहूंगा।

@साहित्य गौरव

कविता

शब्द हो निराले,मनोभाव हो पावन,
स्वच्छ अंतर्मन से ही कविता निकलती है।
काव्य वही है जो रस की अनुभूति कराए,
लेखक की कलम से ही, प्रकृति बदलती है।

@साहित्य गौरव

हमें उम्मीद है कि आपको हिंदी कविताओं के बारे में हमारा लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान के साथ, हम जानते हैं कि जब आपके पास समय हो तो आप हिंदी कविता पढ़ने का आनंद ले सकते हैं। तो आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? आज ही कुछ लोकप्रिय हिंदी कविताएँ देखें!
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