मतलब के रिश्ते
Matlab Ke Rishte
एक कांच की तरह रिश्ते कितने नाज़ुक से होते है, अगर उन्हें संभाल कर न रखा जाये तो वो एक झटके में टूट जाते है फिर उन्हें समेट पाना उतना ही मुश्किल हो जाता है जितना कांच के टूटने पर उसके टुकड़ो को समेटना,मेरी ये कविता मतलब के रिश्ते ऐसे ही हालातों को बयां करती है !
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त भी,
जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो..
मैं न समझ पाया कभी वो न समझ पाए
बिखरते हुए रिश्ते में कौन किसको समझाए
गलतफहमियों का दौर भी कितना अजीब है
उलझे हुए हालातों को कोई कैसे सुलझाए
फिर ........
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि
जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
शायद मैं गलत हूं या गलत कोई और है
ऐसा नहीं है कोशिश कोई की नही की मैंने
कोई समझेगा कैसे जब दिल ही कठोर है
फिर........
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि
जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
ऐसा नहीं है कोशिश कोई की नही की मैंने
कोई समझेगा कैसे जब दिल ही कठोर है
फिर........
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि
जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
गलती नही मेरी, शायद मोहब्बत में कमी है
एक अनचाही सी धूल है जो रिश्तों में जमी है
यूं तो बहुत है रिश्तेदारी मतलबी ज़माने से
पर कैसे कोई अपना जब कोई अपना नहीं है
फिर ........
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि
जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
किसी ने कहा की रिश्तों को वक्त दो थोड़ा
शायद बदलते वक्त से रिश्ता संभल जाए
मैने कहा ये वक्त कौनसी दवा है
कही मेरा वक्त न बदले और वो ही बदल जाए
फिर ........
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
@साहित्य गौरव
इसी कशमकश में गुजर जाता है वक्त कि जाने कौन गलत है मैं या आखिर वो।
@साहित्य गौरव
मतलब के रिश्ते हमें उम्मीद है कि आपको हिंदी कविताओं के बारे में हमारा लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान के साथ, हम जानते हैं कि जब आपके पास समय हो तो आप हिंदी कविता पढ़ने का आनंद लें सकते हैं। तो आप किसका इंतजार कर रहे हैं? आज ही कुछ लोकप्रिय हिंदी कविताएँ देखें!
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