नशीली आँखों पर शायरी
आंखें नशीली जैसे अफीम सा नशा,
सुर्ख लबों पे है उनके रंगीन सा नशा।
मयकदे में सबको मदहोश जो करे,
जरा होंठों से पिला दे नमकीन सा नशा।
चढने लगा सुरूर अब आशिकी का तेरी,
कर होश में रहूं न वो यकीन सा नशा।
आओं इश्क बनकर कभी बाहों में हमारी,
हो जाएं और थोड़ा ये हसीन सा नशा।
बेखुदी में सांकी तू झूमने दे मुझको,
हुआ न मुझे अबतक बेहतरीन सा नशा।
कोई शौक तो नही है झूमने का मुझको,
हो जाएं आज फिर से शौकीन सा नशा।
@साहित्य गौरव
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