madhosh hai zindgi kavita
मदहोश है जिंदगी
इंसान की जिंदगी भी कितनी अजीब है, जब किसी के प्यार में हो तो कितनी सुहानी लगती हैं जब वो साथ हो जिंदगी उसके आगोश में डूबी हुई हो तो हर लम्हें रंगीन हो जाते है लेकिन जब वो हमसे दूर हो जाए तो कही किसी महखाने में जाकर मदहोश हो जाती है। मेरी ये कविता मदहोश है जिंदगी, जिन्दगी में ऐसे ही उतार चढ़ाव की कहानी है वो पहला प्यार पहली जुदाई फिर दर्द ये सब कुछ दिनों तक रहते है, इसके बाद फिर से हम अपने आप को संभाल के वो ही गलती करने के काबिल हो जाते है जो हमने पहले की थी!
यही तो है जिंदगी क्यों सच है न
मयखाने में गुजर गई ये मदहोश जिंदगी,
धीरे धीरे हो चली है खानाबदोश जिंदगी,
रहा न कोई वास्ता मौका परस्तों से मेरा
होश वालो से है बेहतर ये बेहोश जिंदगी।
...धीरे धीरे हो चली है खानाबदोश जिंदगी,
बदलते वक्त के साथ ही बदल गई वो जिंदगी,
गुजारना था तो गुजर गई, सरफरोश जिंदगी।
जाना था वो चले गए किसी अजनबी के साथ
मुबारक हो उनको भी उनकी जिस्मफरोश जिंदगी।
...धीरे धीरे हो चली है खानाबदोश जिंदगी,
चुप थी कितने रोज से ये खामोश जिंदगी
कह रही आकार के मुझसे, ये बेरोज जिंदगी,
ढल गई आधी उमर, इन लोगो को मानाने में
बीत गई सो बीत गई,मैं वो फिरदौस जिंदगी।
...धीरे धीरे हो चली है खानाबदोश जिंदगी,
कल थी किसी की बाहों में ये आगोश जिंदगी,
कर रही आकर के मुझसे अब अफसोस जिंदगी,
जा रही हूं दूर तुझसे मुझे फिर न याद रखना,
मदमस्त नशे में डूबी हुई एक फरामोश जिंदगी।
...धीरे धीरे हो चली है खानाबदोश जिंदगी,
@साहित्य गौरव
Madhosh Hai Zindgi Kavita हमें उम्मीद है कि आपको हिंदी कविताओं के बारे में हमारा लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान के साथ, हम जानते हैं कि जब आपके पास समय हो तो आप हिंदी कविता पढ़ने का आनंद लें सकते हैं। तो आप किसका इंतजार कर रहे हैं? आज ही कुछ लोकप्रिय हिंदी कविताएँ देखें!
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