Bachpan-childhood hindi kavita-बचपन
बचपन
लगे रहते है उधेड़ बुन में जिन्दगी की
जाने वो बचपन कब कहां बिखर गया ।
वो मस्तियों का दौर जाने कब किधर गया ।
वो कंचे,वो पतंगे,वो मांझा बनाना
यारों के संग हर लम्हा बिताना,
ऐसी यादें समेटे एक अरसा ही गुजर गया ।
वो जुगनू वो तारे जो हर ओर जगमगाते थे
काली काली रातों में जो रोज टिमटिमाते थे।
वजह नही थी ज्यादा खुश होने की फिर भी
बे वजह की बातों में हम खिल के मुस्कुराते थे।
नादानियों का दौर अब जिम्मेदारी में संवर गया।
ऐसी यादें समेटे एक अरसा ही गुजर गया।
@साहित्य गौरव
बचपन बचपन के सुनहरे समय के बारे में कविता है कि समय कितना सुंदर है, हर किसी के जीवन की मधुर स्मृति का समय हर कोई अपने बचपन के दिनों को याद करता है। यह एक अद्भुत समय है; यह एक बच्चा होने का एक शानदार समय है।
एक अरसा ही गुजर गया
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