Poem On Nature In Hindi
खुबसूरत प्रकृति पर कविता
प्रकृति ईश्वर का दिया हुआ खुबसूरत उपहार जो हमारे लिए वरदान है! साफ स्वच्छ बेदाग से निर्झर झरने,बहती नदियाँ ,पहाड़, पेड़ पौधे , ये खुबसूरत प्रकृति कितनी मनमोहक है न! सच ये प्रकृति न होती तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे! प्रकृति हमें जितना सुख देती है क्या हम भी प्रकृति को उतना ही सुख दे रहे है? नहीं न हम तो उल्टा उसे प्रदूषित करने में लगे है पर ऐसा क्यों बस अपने स्वार्थ के लिए क्यों? इंसानी प्रवत्ति प्रकृति से कितनी भिन्न है न प्रकृति सिर्फ देना जानती है और इंसान सिर्फ लेना वो तो जिस थाली में खाता है उसी में ..............
हे मानव ! प्रकृति को तूने,
ये कैसा परिवर्तित कर डाला।
सुंदर स्वच्छ अवनी को स्वयं ही,
प्रदूषित तत्वों से भर डाला।
स्वच्छंद पवन अरण्य सघन,
कल कल बहती तरनी की धारा को,
तूने ही दूषित कर डाला,
देवनदी की अमृतधारा को।
अस्वच्छ सिंधु के तट धरा पर,
अपशिष्ट पदार्थों के प्लावन से।
फैला रहा है रासायनिक प्रदूषण,
विषैले कार्बनिक रसायन से।
भूमंडलीयऊष्मीकरण के जैसे
वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम है।
माध्यम वात से जो पसर रही,
रुग्णता उसी का प्रमाण है।
अंतिम अवसर अब न चेते तो,
भविष्य विकट दुष्कर होगा,
धरती में न जीवन होगा और,
न किसी जीव का घर होगा
"प्रकृति बचाओ जीवन बचाओ" ,
ले संकल्प सब मिलकर आज
सजग हो गया हर एक मानव तो
कल न होगा पश्चाताप
@साहित्यगौरव
हमें उम्मीद है कि आपको हिंदी कविताओं के बारे में हमारा लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान के साथ, हम जानते
हैं कि जब आपके पास समय हो तो आप हिंदी कविता पढ़ने का आनंद ले सकते हैं। तो आप किसका इंतज़ार कर
रहे हैं? आज ही कुछ लोकप्रिय हिंदी कविताएं देखें!
इस ब्लॉग की सारी पोस्ट में मौजूद कविताएं शायरी पूर्णतः मौलिक तथा वास्तविक है जो की मेरे द्वारा लिखी गई रचनाएं है आप सभी पाठकों से निवेदन है कि इसे कॉपी पेस्ट करके अन्य ब्लॉग में प्रकाशित न करें अन्यथा कॉपी राइट का उलंघन्न माना जावेगा। @साहित्य गौरव
कोई टिप्पणी नहीं