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mere alfaaz shayari

मेरे अल्फाज़ शायरी

मेरे लफ्ज मेरे अल्फाज़ जो मेरे दिल से निकलते है जानता हूँ बड़ा मुश्किल है इन्हें कागज़ में उतार पाना पर जब भी कलम मेरे हाथ में होती है, तब अपने आप ही मेरे दिल में छुपे अल्फाज़ मेरी कलम में समां जाते है और एक खुबसूरत गज़ल निकलती है जिंदगी में बीते हुए किस्सों की कहानी ऐसा मुमकिन नहीं की मेरी कहानी आप सबसे जुदा हो क्योंकि आपकी ही तरह मेरी जिंदगी भी है एकदम आम सी है मेरे साथ भी वही हादसे होते है जो पहले कभी किसी के साथ हुए होंगे तो फरमा रहा हूँ मेरे अल्फाज़ शायरी इस उम्मीद से की आप को पसंद आएगी....





मेरे लफ्ज़ ही मिलेंगे मेरे अल्फाज ही मिलेंगे,
मेरी हर एक गजल में मेरे अंदाज ही मिलेंगे।

तुम ख़ामोशी से मुझकाें बस यूंही सुनते रहना,
मेरी आदत के ही जैसे मेरे मिजाज भी मिलेंगे।

कैसे जिंदगी पुरानी मैं भुला कर के आया,
मेरी तनहाई के पीछे दफ्न राज ही मिलेंगे।

और ढूंढों तो जरा से जख्मों के निशान मेरे,
कल हम थे जहां पर वही आज भी मिलेंगे।

तुम चलकर तो देखो राह उल्फत में उनकी,
हर शख्स फिर यहां पर धोखेबाज ही मिलेंगे।

जो बनाए थे दस्तूर कल जमाने की खातिर,
इस दुनिया में पुराने वो रिवाज भी मिलेंगे।


बाजार ए मोहब्ब्त में इश्क पेशा है जिनका,
यहां हैसियत के मुताबिक पेशेबाज़ ही मिलेंगे।

हम खाकर के ठोकर इस तसल्ली से बैठे,
एक हम ही नही कई उम्रदराज भी मिलेंगे।

मैं खत्म कर के आया वो कहानी वही पर,
मेरी जिंदगी में अब नए आगाज ही मिलेंगे,

जो निभाते थे मुझ से बस मतलब के रिश्ते,
अब जहां भी मिलेंगे वो मोहताज ही मिलेंगे।
@साहित्य गौरव 


हमें उम्मीद है कि आपको हिंदी कविताओं के बारे में हमारा लेख पसंद आया होगा। इस ज्ञान के साथ, हम जानते
हैं कि जब आपके पास समय हो तो आप हिंदी कविता पढ़ने का आनंद ले सकते हैं। तो आप किसका इंतज़ार कर
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