Selfish relation- matlabi rishta- मतलबी रिश्ता
मतलबी रिश्ता
बहुत हो गया अब रिश्ता जो,
हम अबतक निभा रहे थे
तुम हमको और हम
तुमको खूब आजमा रहे थे ।।
माना तुमने कुछ कहा नहीं,
जो हमको बुरा लगता।
पर ये तो बता दो वो क्या था,
जो तुम हमें सुना रहे थे।।
Selfish- relation
कौनसा है हक अब तेरा,
ओ मेरे ऊपर खुदगर्ज।
बात बात पे अपना,
तुम जो हक जता रहे थे।।
मैं ही तो था तब तक जब तक
ये रिश्ता काबिज था।
वरना हर बार,
तुम मुझे मेरा फर्ज बता रहे थे।।
हां थे मेरे हालात एक
समय बदतर,लेकिन,
तुम ही थे न वो शख्स,
जो मेरे हालातों में मुस्कुरा रहे थे।।
बहुत हो गया अब रिश्ता जो
,हम अबतक निभा रहे थे।
@ साहित्य गौरव
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matlabi rishta
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जवाब देंहटाएंRose