मेरी मोहब्बत हो गजल
meri mohabbat ho ghazal
वो पहले प्यार का खूबसूरत एहसास वो दिल का धड़कना वो बेकरारी बैचैनी एक आशिक के दिल का हाल बयां करती है। मेरी मोहब्बत हो गजल आशिक के लफ्जों से निकली हुई एक ऐसी नज़्म है जो उसकी अधूरी ख्वाहिशों को बड़े दिल नशी अंदाज में बयां करती है। मेरी मोहब्बत हो गजल..
गर हुस्न सल्तनत में हुकूमत मेरी हो,
तो मोहब्बत को ऐसी मोहब्बत मेरी हो,
किताबों के पन्नें वो छुप छुप के देखें,
जहां भी वो देखें तो सूरत मेरी हो।
तेरी आंखों में हर वक्त चाहत मेरी हो,
तुम्हें ख्वाब देखने की बस आदत मेरी हो,
अपनी बाहों में भर लो मुझे और थोड़ा,
आगोश में तुम्हारी अब राहत मेरी हो।
है इश्क कायनात तो कुदरत मेरी हो,
रब की बनाई हसीन जन्नत मेरी हो,
फूलों का आशिक बस इतना ही चाहें,
हो बहारों का मौसम तो चाहत मेरी हो।
बागों में तितलियों से सोहबत मेरी हो,
सात रंगो से रंगीन अब रंगत मेरी हो,
खिलने लगे जब गुलाबों में कलियां,
महबूब के दिल में तब हसरत मेरी हो,
तुम गजल प्यार की खूबसूरत मेरी हो,
मेरे जस्बतों से बनी इबारत मेरी हो
लिखे कितना भी कोई तुझे मुझसे बेहतर,
जिक्र मेरा ही होगा तुम आयत मेरी हो,
@साहित्य गौरव
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