Jeevan par suvichar Hindi mein - Like Hindi Poem हिंदी कविताएं

Jeevan par suvichar Hindi mein

जीवन पर सुविचार 


मानव शरीर

hindi kavitaye

Like Hindi Poem 

 मृत्तिका सी है ये देह तुम्हारी,
इतना अभिमान क्यों करते हो।

अपने आप यूं,अपने ही मुख से,
स्व कीर्ति बखान क्यों करते हो।

नश्वर है एक दिन मिट जायेगी,कोमल काया जो पाई है,

महिमा मंडल स्वयं की गा कर,
अपनी पहचान क्यों करते हो।

मूल्य नही है जिसके चरित्र में,व्यर्थ ही उसका जीवन है,

अहम के मद में चूर होकर तुम,
सबका अपमान क्यों करते हो। 

नष्ट हो गया अच्छे अच्छों का,खाक जो बनकर रह गए,

प्रसिद्धि के आवेश में आकर,
खुद को परेशान क्यों करते हो।

बिंदु नही समक्ष ब्रह्माण्ड के तुम,तेरा कही अस्तित्व नहीं,
जरा भी नही सामर्थ तुम्हारा,

इतना गुणगान क्यों करते हो।
@साहित्य गौरव


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