टूटे दिल पर शायरी
दिल कितना नाज़ुक था एक झटके में ही तोड़ दिया अब खुद को संभालू या दिल के टुकड़े समेटूं ..
फर्क तुझमें और मुझमें बस इतना रहा,
तू मोहब्बत के काबिल और मैं तन्हा रहा।
तू मोहब्बत के काबिल और मैं तन्हा रहा।
कहां हूं मैं मेरी मंजिल कहाँ है,
ढूंढता हूं जिसे वो रास्ता कहां है,
निकला हूं मै उस अजनबी सफर में
जहाँ मेरा खुद से कोई वास्ता कहां है
@साहित्य गौरव
tute dil par shayari
लफ्जों से नही ये जज़्बातों से खेलते है।
कुछ लोग हमेशा एहसासों से खेलते है।
जिन्दगी में चाहे कैसा भी दौर हो लेकिन,
अपने ही कमजोर हालातों से खेलते है।
@साहित्य गौरव
टूटे एक बार तो फिर जुड़ न पाएंगे,
ये कांच के रिश्ते है टुकड़ों की तरह,
बड़े नाजुक है ये जरा संभाल के रखिए,
गल जाते है पूराने कपड़ों की तरह।
@साहित्य गौरव
हुनर दिखा के हम अपना
किसी का दिल नहीं जीता करते।
सच्चे आशिक देखते है सच्चा दिल,
औकात किसी की देखा नही करते।
@साहित्य गौरव
जो ना लिखूं अल्फाज़ तो कैसे चलेगा,
अपने दिल की आवाज तो कैसे चलेगा।
हो गई है आदत इसे रोज लिखने की
फिलहाल न लिखूं आज कैसे चलेगा।
@साहित्य गौरव
राब्ता नही अब तुझसे कोई मेरा,
न अब किसी बात का लिहाज करता हूं।
जा चली जा बहुत दूर मेरी नजरो से
तुझे जिंदगी से अपनी मैं आजाद करता हुं।
@साहित्य गौरव
tute dil par shayari
जाने क्यों आज मन में,अजीब सी बेकरारी है,
लग रहा है वक्त भी जैसे बोहरा बोहरा सा,
क्या लग है आदत इसे भी तुम्हारी ,
बिना कोई वजह के मनहुसियत फैलाने की।
@साहित्य गौरव
चंद रोज ही रुका था बुरा वक्त जिंदगी में,
हमने भी उस से दोस्ती कर ली थी।
बदला जमाना तो वो भी बदल गया,
अब आता है वो कभी कभी मिलने मुझसे।
@साहित्य गौरव
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